Tuesday, March 01, 2005

इंतज़ार ही मेरी क़िस्मत है

इंतज़ार ही मेरी क़िस्मत है ।

जो इर्द-ग़िर्द है मंडराती,
पर पास नहीं फिर भी आती,
वो बहार ही मेरी हिम्मत है ।

इंतज़ार ही मेरी क़िस्मत है ।

जितनी राह हूँ देख चुकी,
उतनी ही देर है और सखी ।
ये मज़ार ही मेरी जन्नत है ।

इंतज़ार ही मेरी क़िस्मत है ।

पल भर छूकर निकल जाना,
पाने की कोशिश छल जाना,
ऐ बयार, ये तेरी फ़ितरत है ।

इंतज़ार ही मेरी क़िस्मत है ।

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