जो तुम्हारा सफ़र होता है
वो मेरे तीन दिन होते है।
आपका एक पहर होता है
घंटे हम गिन-गिन रोते हैं।
एक घंटे में आई-गई
बात हमें तड़पाती है,
पूरे साठ मिनटों की वो
कसक लिए हुए आती है।
एक मिनट के साठ पल
पलो के भी हज़ार टुकड़े
बीतते हैं ज्यों-ज्यों वे, मेरा
जाते हैं करार लूट के।
इंतज़ार में!
Saturday, March 19, 2005
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