Monday, March 21, 2005

अभी नहीं

ऐ हवा! अभी दूर ही रहना
अभी उन्होंने छुआ है मुझको।
वो अहसास अगर भूल पाऊँ तो
तेरा भी हक़ दूँगी तुझको।

पत्तों अभी आवाज़ न करना
कानों में भरे हैं लफ़्ज़ उनके।
गूँज बंद वो हो पाए तो
गीत भी सुन लूँगी मैं तुमसे।

बारिश ना बाल मेरे भिगोना
छिपी है उँगलियों की उनकी
हलकी-सी छुअन जो इनमें
होंगी वही साथी विरहन की।

दोस्तों चेहरा उदास ज़रूर है,
पर तसल्ली देने अभी ना आना।
जो पल बिखरे हैं मेरे अभी
सहेजे बिना कब दिल है माना?

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