Thursday, March 24, 2005

सब कुछ पाने की कोशिश में

सब कुछ पाने की कोशिश में
सब कुछ छिन तो ना जाएगा?

दुनिया भी देखनी है
और तुम्हें भी पाना है।
तुम्हें साथ लिए हुए
क्षितिज के पार जाना है।
सब एक साथ ही मिल जाए
क्या वो दिन भी आएगा?

सब कुछ पाने की कोशिश में
सब कुछ छिन तो ना जाएगा?

धरती का धैर्य चाहिए
स्वच्छंदता भी आकाश की।
महलों की रौशनी भी
परीक्षा भी वनवास की।
कैसे कोई सब रागों को
एक साथ ही गाएगा?

सब कुछ पाने की कोशिश में
सब कुछ छिन तो ना जाएगा?

जो नहीं है वह पाना है
जो है वह भी न छूटे।
बँधे नए बंधन प्राणों के
पर जो हैं वो ना टूटें।
क्या आसमान और ज़मीन को
कोई एक कर पाएगा?

सब कुछ पाने की कोशिश में
सब कुछ छिन तो ना जाएगा?

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