जीवन भर की प्यास के बाद
मिला हो यदि गंगाजल और
अनुपम हो पर दो बूँदों से
ज़्यादा का न चलता हो दौर।
सौभाग्य है उसको पाना या
अच्छा था ना वो मिलना ही?
प्यासी ही मैं मर जाती, क्यों
जीने में तिल-तिल मरना भी?
Saturday, March 19, 2005
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