वो गीत कभी मैं लिख पाऊँ
जो उनके दिल को छू जाए।
सुनकर मेरे मन की तान,
मानो चमका हो आसमान,
वो चाँद गगन में यूँ छाए।
वो गीत कभी मैं लिख पाऊँ
जो उनके दिल को छू जाए।
जो सोच सिहर उठती हूँ मैं,
और चार प्रहर जगती हूँ मैं,
वो बात ना उनको क्यूँ भाए?
वो गीत कभी मैं लिख पाऊँ
जो उनके दिल को छू जाए।
बेचैन बना दे यों उनको,
चैन ना हो फिर तन-मन को
और देखें तारे मुँह बाए।
वो गीत कभी मैं लिख पाऊँ
जो उनके दिल को छू जाए।
Monday, February 28, 2005
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