Saturday, February 05, 2005

चाहती तो नहीं

चाहती तो नहीं
कि मेरी यादें तुम्हें परेशान करें,
मेरी बातें, मेरा चेहरा हैरान करें।
पर जब ये कहते हो
कि तुम मुझे याद करते हो,
तो अच्छा तो लगता है!

चाहती तो नहीं
कि तुम मेरे लिए रुको,
या कभी मेरे लिए झुको।
पर जब ये कहते हो
कि चलते हुए कभी ठिठकते हो,
तो अच्छा तो लगता है!

चाहती तो नहीं
कि तुम्हें किसी बंधन में बाँधू,
प्रीत को बोझ बनाकर तुमपर लादूँ।
पर जब ये कहते हो
कि बिन बाँधे ही बँधते हो
तो अच्छा तो लगता है!

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