कहाँ से सीखा है सताना?
यों तो आँसू पर किसी के
खुद भी रोते से दिखते हो।
दर्द बयाँ कर के दुनिया के
रोज़ नई ग़ज़ल लिखते हो।
कैसे फिर मुझको यों तुम
तड़पाते हो ये बतलाना।
कहाँ से सीखा है सताना?
नींद तुम्हें तो आ जाती है,
रातों में सपनों के साथ।
कहीं भी तो होता नहीं
पास मेरे तुम्हारा हाथ।
क्या टोना करते हो लेकिन
काम जिसका मुझको जगाना?
कहाँ से सीखा है सताना?
Tuesday, July 05, 2005
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