Saturday, July 09, 2005

वो याद में खुश थे मेरी, रोए हम उन्हें याद कर

वो याद में खुश थे मेरी, रोए हम उन्हें याद कर
चुप रह दिल मेरे, हँसते हैं सब फ़रियाद पर।

होंगे और वो लोग जो लेते हैं दर्द में मज़ा
रोना हमें तो आ गया खुशियों की ख़ाक पर।

किया जमा बरसों से इतना कुछ कहने को
और ज़बान खुली नहीं एक भी बात पर।

लफ़्ज़ जमा कर लें हम, समाँ कैसे सँजोए
मिट गई स्याही जिससे नाम लिखा हाथ पर।

उम्र भर वो रोशनी ढूँढा किए मेरे लिए
और हम तो मिट गए थे बस एक रात पर।

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