अंत है या शुरुआत सफ़र की?
आज तो ये बात नहीं जान पड़ती।
हलचल-सी तो है कहीं पर
जाने ये तूफ़ान बनेगा?
या बस यहीं खतम हो कर
कुचला हुआ अरमान बनेगा?
रहूँगी कल मैं जीती या मरती?
अंत है या शुरुआत सफ़र की?
आज तो ये बात नहीं जान पड़ती।
जिन्होंने साथ दिया अब तक
क्या रोड़े बनेंगे राह में?
और उन्हें पूजने का कर्तव्य
मुझे बढ़ने न देगा अपनी चाह में?
सब ठीक है या होगी कोई बात डर की?
अंत है या शुरुआत सफ़र की?
आज तो ये बात नहीं जान पड़ती।
और अगर सच में कहीं ये
साबित हुआ अंत सफ़र का,
क्या करेंगे, कहाँ जाएँगे हम -
रास्ता देखेंगे भी तो किस दर का?
क्या कुचली जाएगी उड़ान पर की?
अंत है या शुरुआत सफ़र की?
आज तो ये बात नहीं जान पड़ती।
Saturday, April 02, 2005
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