Wednesday, April 13, 2005

ना तेरा है ना मेरा है

ना तेरा है ना मेरा है, अब दर्द हमारा है साथी ।

सपने इस दिल के हरदम,
छोटे छोटे से होते थे ।
कुछ पाने की इच्छा से पहले,
डरती थी उसके खोने से ।

तुम मिले तो मेरे सपनों को,
बौनापन पता चला अपना ।
और संग तुम्हारे मिल कर मैंने,
देखा एक बडा सपना ।

ये वो ही है जिसे अभी तुम,
अपना सपना कहते हो ।
अब सिर्फ़ तुम्हारा रहा नही,
वो मर्ज हमारा है साथी ।

ना तेरा है ना मेरा है, अब दर्द हमारा है साथी ।

जो तान अभी छेडी तुमने,
प्रेरणा मेरी भी तो थी ।
गीत जो लिखे कभी मैंने,
समझा तो उनको तुमने भी ।

बसंत जो आया है इस बार,
लाये हम तुम मिल कर ही ।
वरना सुख कौन सा पाते थे,
फूल सारे खिल कर भी ।

अकेले मे चाहे तुम गाओ,
तन्हा ही मैं गुनगुनाऊं ।
रहा कहां अब तेरा मेरा,
तर्ज हमारा है साथी ।

ना तेरा है ना मेरा है, अब दर्द हमारा है साथी ।

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