Wednesday, June 29, 2005

हवा चल तो रही है

हवा चल तो रही है क्यों मेरे पास आती नहीं
हज़ार चीज़े तो हैं क्यों उनकी याद जाती नहीं।

आयी बारिश दुनिया ने की ख़ुशामदीद
गम मेरा ये क्या ये उन्हें तड़पाती नहीं।

कभी मैंने ही सजाई थी अपने हाथों से जो
क्या हुआ कि वो महफ़िल मुझे भाती नहीं?

कितनों की लगी है क़तार बता दे ऐ ख़ुदा,
दरबार में तेरे क्यों मेरी बारी आती नहीं।

No comments: