Monday, October 10, 2005

मैं एक सपना ही हूँ

क्या हुआ जो मुझको छोड़ सनम
सपनों में खो गए तुम?
मैं भी तो एक सपना ही हूँ।

क्या हुआ जो मुँह को मोड़ सनम
चले कहीं हो गए तुम?
अख़िर मैं एक सपना ही हूँ।

देख नहीं सकते हो मुझको
और भला छू सके कब?
सच में मैं एक सपना ही हूँ।

मूँद के आँखें जो मिलता है
उसमें पाया है जो सब।
वैसे ही मैं सपना ही हूँ।

सपना किसका कब हो पाता
भाग रहे क्यों मेरे पीछे?
मान लो, मैं एक सपना ही हूँ।

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