Wednesday, August 17, 2005

इतनी खुश थी मैं

कितनी खुश हूँ इसका अहसास ही नहीं हुआ
इतनी खुश थी मैं।
याद दिलाया तुमने पर विश्वास ही नहीं हुआ
इतनी खुश थी मैं।

बच्चों के से खिलवाड़ मुझे आ रहे थे रास
इतनी खुश थी मैं।
बेमतलब की बातें भी लग रहीं थीं ख़ास
इतनी खुश थी मैं।

बंद कमरा भी खुला आसमान बन गया था
इतनी खुश थी मैं।
तुम्हारी आँखों से ही पूरा जहान बन गया था
इतनी खुश थी मैं।

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