पूछा न करो मुझसे कि क्यों चुप हूँ मैं।
कभी सुना है फूलों को बोलते
देखा है तारों को मुँह खोलते?
रंग और रोशनी जो छाई हुई है
बिना कहे सुने ही कितनी खुश हूँ मैं।
पूछा न करो मुझसे कि क्यों चुप हूँ मैं।
Friday, August 12, 2005
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