क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?
सुना दीं सारी ख़बरें जहान की
सुन लीं बाकी ख़बरे जहान की
क्यों फिर भी ये पूरा नहीं पड़ता?
क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?
बता दिया जितना बता सकती थी
लफ़्ज़ों में जो बात समा सकती थी
क्यों फिर भी चुप रहने का मन नहीं करता?
क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?
लगता तो नहीं कुछ और कह सकते हो
क्या चुप्पी फ़िर भी सह सकते हो?
मेरा तो सुन-सुन कर दिल नहीं भरता।
क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?