tag:blogger.com,1999:blog-111366452024-03-07T14:43:02.818-08:00A JourneyA journey - so common, yet so specialFlying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.comBlogger70125tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-11259549869204515192008-04-04T11:35:00.001-07:002008-04-04T11:41:01.125-07:00अकेलापन अब सताने लगा हैअकेलापन अब सताने लगा है,आ जाओ ग़म जाँ खाने लगा है।काटे बरस इतने कैसे जाने मैंनेरहा-सहा साहस अब जाने लगा है।थक गए कंधे, नीरस सफ़र है,हमदम को दिल अब बुलाने लगा है।हाथों में डाले चलते हैं जो हाथ अब,दिल उनसा रहने को छटपटाने लगा है।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-69225282118117436692008-03-15T08:37:00.001-07:002008-03-15T08:39:08.186-07:00क्या वो आज हमें पुकारेंगे नहीं?क्या वो आज हमें पुकारेंगे नहीं?हमने तो बढ़ाए क़दम, वो अबक्या दूरियों को नकारेंगे नहीं?क्यों आदत सी हो गई है उनकी हमें,कभी जो रूठ कर चले गए, क्या हमज़िंदग़ी उनके बिना गुज़ारेंगे नहीं?इस अंधेरी रात में, सूनी-सी राह मेंकहीं गिर जो पड़े फिसल कर हमक्या वो हमें आकर सँभालेंगे नहीं?Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-2964620954531338882007-09-22T10:32:00.001-07:002007-09-22T10:32:16.790-07:00क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?सुना दीं सारी ख़बरें जहान कीसुन लीं बाकी ख़बरे जहान कीक्यों फिर भी ये पूरा नहीं पड़ता?क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?बता दिया जितना बता सकती थीलफ़्ज़ों में जो बात समा सकती थीक्यों फिर भी चुप रहने का मन नहीं करता?क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?लगता तो नहीं कुछ और कह सकते होक्या चुप्पी फ़िर भी सह सकते हो?मेरा तो सुन-सुन कर दिल नहीं भरता।क्यों बातें कर के जी नहीं भरता?Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-21272991097385117952007-04-29T11:43:00.000-07:002007-04-29T11:44:11.305-07:00डरडर इसका नहीं है कि मुझे भूल जाओगेडरती हूँ न जाओ इन वादियों को भूलरखी हैं जिन्होंने सहेज कर यादें हमारीऔर न पड़ने देंगी समय की उन पर धूल।कहीं वो गीली रेत अजनबी न लगने लगेहमारे पैरों के निशान हैं जिनपर पास-पासकहीं वो कंकड़ पैरों में न चुभने लगेंफेंके थे पानी में जो हमने साथ-साथवो अक्षर न भूल जाएँ तुम्हेंजिनसे हमने नाम लिखे थेतूफ़ान न हो जाएँ बेगानेजो हमने मिल थाम रखे थे।इन सबके ही बीच में मैंनेकभी Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1160318252429575552006-10-08T07:30:00.000-07:002006-10-08T07:37:32.553-07:00लम्बा इंतज़ारइंतज़ार हो ऐसा दिन तोकम-से-कम मैं गिनने पाऊँऐसा हो आओ ना जबतकतब तक मैं बस रोती जाऊँ।दिन हों उसमें बस इतने किजग भी मुझको छोड़ अकेलाबढ़ जाए वो क़दम-दो-क़दमजाए ना पर मुझे ढकेला।इंतज़ार जो होता कुछ दिनउसको मैं भी गले लगातीउसे प्यार का भाग बताकरमीठे दर्द के साथ बिठाती।सपने बुनती मिलन के दिन केघर को अपने खूब सजाती,ज्यों-ज्यों दिन आते जाते मैंभीतर-बाहर दौड़ लगाती।क्या करूँ उस इंतज़ार कागिनती जिसमें छूट Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1156623765686716832006-08-26T13:11:00.000-07:002006-08-26T13:22:45.693-07:00कारण क्या मेरे रोने काकारण क्या मेरे रोने काक्या डर है तुमको खोने का?प्यार हमारा सह न सकेगाइतने लम्बे इस विरह को?परेशान क्या इससे होती,क्या भय लगता है ये मुझको?नहीं क्षणिक भी ऐसी कोईचिंता मुझको खाती हैहोगा कुछ बुरा विरह सेनहीं ये बात सताती है।और अगर कुछ होना हो तोरोना क्या उसके लिए?नहीं चाहिए वह प्रेम जोटूटे कुछ विरह के किए।नहीं ये कल की सोच नहीं हैआज जो मुझे रुलाती है।नहीं भविष्य की कोई कल्पनाहै जो मुझे डराती है।आज Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1154889498219557852006-08-06T11:30:00.000-07:002006-08-06T11:38:18.256-07:00प्रारंभ विरह काबहुत है सिमटी फिर भी दुनिया नहीं हुई छोटी इतनीपार सात समंदर रहकर भी ना कोई बने विरही।आती हैं तस्वीरें, बोली भी तो मैं सुन लेती हूँ,पर भला पूरी हो सकती है उस छुअन की कमी कभी?जीवन अलग तेरा-मेरा, सुख-दुःख सब अपने-अपनेपहले बाँटू इन सबको, फिर कैसे संग देखूँ सपने?विरह की थी जिसे ज़रूरत, बड़ा ही कच्चा प्रेम था उसका,पास भी होकर नहीं छूटते, प्रिय, मधुर सपने अपने।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1154712547456868232006-08-04T10:21:00.000-07:002006-08-04T10:29:07.513-07:00जीवन चला गया मैं पल भर बैठ नहीं पाईजीवन चला गया मैं पल भर बैठ नहीं पाईजाते हुए भी आखिरी वह भेंट नहीं पाई।छुआ अभी था होठों को कि प्याला छीन लियापर स्वाद चढ़ा जो होठों पर समेट नहीं पाई।अभी थकान चढ़ी हुई थी बाग को सिंचवाने कीलुट गया वो मैं पल भर भी लेट नहीं पाई।है मेरा भी प्यार कहीं पर, फिर भी जिसमेंचाहत उगती, देख कभी वो खेत नहीं पाई।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1154239815623535402006-07-29T23:03:00.000-07:002006-07-29T23:10:16.036-07:00कौन सा गीतकौन-सा गीत लिखूँ कहो मैंजो विरह की अमर गाथा होसब विरहियों को दे चैन योंकि स्वीकार लूँ मैं इस विरह को!बहाऊँ कैसे वह आँसू मैंबुझाए वो तपन इतनों कीजिससे सार्थक लगे टूटनीदुनिया अपने भी स्वप्नों की।क्या उपकार करूँ यादों सेऔर किसका करूँ बताओकि हर चीज़ मेरी अपनी थीकह दूँ उनसे याद बन जाओ।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1154196457669292252006-07-29T11:00:00.000-07:002006-07-29T11:07:37.696-07:00एक ही हश्रहर लम्हाजो मैंने चुराया थावक़्त के चंगुल से,दुनिया के हाथों से,हमारे लिए,उन सबका काएक ही हश्र हुआ है।सब-के-सबबस याद बन कर रह गए हैं।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1151497929996584992006-06-28T05:28:00.000-07:002006-06-28T05:32:10.010-07:00तुम चले जाओगे ढूँढ़ा हमने दिन-रात एक कर अपने लिए एक आशियाना। सजाया उसे, झगड़े हम परदों के रंग पर, रसोई के बर्तनों पर। और अब जब बना है वो तो तुम चले जाओगे। नहीं चढ़ पा रहे थे पहाड़, नहीं उतर पा रहे थे नदी में। सामना किया अक्षम शरीर का, और अब जब साथ चल सकती हूँ तुम्हारे तो सब कुछ छोड़ कर तुम चले जाओगे। एक छोटी-सी गाड़ी जो हमें दूर-दूर ले जा सके। सपने में जो देखी जगहें वहाँ तक पहुँचा सके। मिली जब वो Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1131556174911459652005-11-09T09:09:00.000-08:002005-11-09T09:11:02.490-08:00क्यों गीत नहीं लिखती हूँ मैं अबबेचैन हमेशा मन रहता था "सँभल-सँभल" यह दिल कहता था पागलपन कहाँ जाता मेरा गीत वही बनकर बहता था।पास ज़रा और फिर तुम आए पहले तो हम थे घबराए जाने क्या हो जाएगा जो बाँहों का घेरा कस जाए।डर ने कविताओं पर मेरी छुअन अजब कसक की फेरी और कहाँ जाता फिर वो भी बन कर गीत तान एक छेड़ी।पर जब उन बाँहों में घिर कर सुकूँ कहीं छाया इस दिल पर जब बातें सब जो थीं मेरी बोझFlying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1130338309633893242005-10-26T07:59:00.000-07:002005-10-26T08:10:58.470-07:00पुराना दर्ददर्द वही है इतने दिन सेगीत बन बहता भी नहीं अबचुक गए नग़मे, ख़तम हैं किस्सेबातों में रहता भी नहीं अब।पहली बार जब गीत बना थालोगों के मन को भाया था।संग में तड़पा किसी और कोख़ुद पर ही वह इतराया था।बासी हो गए गीत सभी वोऊब चुके हैं सब जन सुनकरतड़प भले अब भी उतनी होताजी नहीं रही वो मन पर।गर्व दर्द सहने का शायदथक चुका है ऊँचा रहकर।कड़वाहट ही एक बची हैरह जाती जो हाथें मलकर।दबा-छिपा कर हँसी-हँसी मेकोशिश येFlying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1128998692429886562005-10-10T19:31:00.000-07:002005-10-10T19:44:52.593-07:00मैं एक सपना ही हूँक्या हुआ जो मुझको छोड़ सनमसपनों में खो गए तुम?मैं भी तो एक सपना ही हूँ।क्या हुआ जो मुँह को मोड़ सनमचले कहीं हो गए तुम?अख़िर मैं एक सपना ही हूँ।देख नहीं सकते हो मुझकोऔर भला छू सके कब?सच में मैं एक सपना ही हूँ।मूँद के आँखें जो मिलता हैउसमें पाया है जो सब।वैसे ही मैं सपना ही हूँ।सपना किसका कब हो पाताभाग रहे क्यों मेरे पीछे?मान लो, मैं एक सपना ही हूँ।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1128694429806518492005-10-07T07:02:00.000-07:002005-10-07T07:13:49.813-07:00क्यों उदास हुए महबूब मेरे?क्यों उदास हुए महबूब मेरे?कुछ ठोकरें लगीं, थोड़े घुटने छिले,माना दुनिया से हैं शिकवे-ग़िले,पर बदलेगी थोड़ी दुनियाबदलेंगे थोड़े हमफिर क्यों भला रहे हमें उदासियाँ घेरे?क्यों उदास हुए महबूब मेरे?कुछ तो बचपना था, कुछ समझदारी थी कुछ तो समझ ख़ुदग़र्ज़ी से हारी थी,पर भलाई करने कीकोशिश भी तो थी,फिर क्यों भला रहे हमें उदासियाँ घेरे?क्यों उदास हुए महबूब मेरे?Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1125033350495361202005-08-25T21:46:00.000-07:002005-08-25T22:15:50.503-07:00उस दिन समझूँगी प्यार कियाअपने सच के आगे तुम्हारेसच को अपना लूँगी जिस दिनउस दिन समझूँगी प्यार किया।इंतज़ार कर पाऊँ जिस दिनशिकायत के एक लफ़्ज़ बिनउस दिन समझूँगी प्यार किया।छोड़ दूँ तड़पना जिस दिन से मैंगलतियाँ तुम्हारी गिन-गिनउस दिन समझूँगी प्यार किया।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1124374198375850272005-08-18T07:09:00.000-07:002005-08-18T07:09:58.390-07:00कुछ हर बार बदल जाता हैकुछ हर बार बदल जाता है।बरसों का है इंतज़ार और पल भर की ही है बहारपर उस पल भर में ही कैसेपरदा एक और खुल जाता है।कुछ हर बार बदल जाता है।लगता है कि बहुत हुआकुछ करने को अब नहीं बचापर जब भी मिलते हो फिर सेबंधन एक और खुल जाता है।कुछ हर बार बदल जाता है।पहली बार पास आए थे कैसे हम तब घबराए थेजब भी अब वापस आते होक़दम एक और बढ़ जाता है।कुछ हर बार बदल जाता है।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1124280780061566752005-08-17T03:37:00.000-07:002005-08-17T08:28:21.173-07:00इतनी खुश थी मैंकितनी खुश हूँ इसका अहसास ही नहीं हुआइतनी खुश थी मैं।याद दिलाया तुमने पर विश्वास ही नहीं हुआइतनी खुश थी मैं।बच्चों के से खिलवाड़ मुझे आ रहे थे रासइतनी खुश थी मैं।बेमतलब की बातें भी लग रहीं थीं ख़ासइतनी खुश थी मैं।बंद कमरा भी खुला आसमान बन गया थाइतनी खुश थी मैं।तुम्हारी आँखों से ही पूरा जहान बन गया थाइतनी खुश थी मैं।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1123866946543855922005-08-12T09:57:00.000-07:002005-08-12T10:16:52.856-07:00क्यों चुप हूँ मैंपूछा न करो मुझसे कि क्यों चुप हूँ मैं।कभी सुना है फूलों को बोलतेदेखा है तारों को मुँह खोलते?रंग और रोशनी जो छाई हुई हैबिना कहे सुने ही कितनी खुश हूँ मैं।पूछा न करो मुझसे कि क्यों चुप हूँ मैं।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1122952836030379202005-08-01T18:32:00.000-07:002005-08-01T20:20:36.043-07:00कौन सा है आसमान जिसमें उड़ रही हूँ मैंकौन सा है आसमान जिसमें उड़ रही हूँ मैंकौन डगर जिससे कि पीछे ना मुड़ रही हूँ मैं।गीत बन के बिखरे जो शब्द हैं हवाओं मेंलाया मेरे पास कौन कि बन सुर रही हूँ मैं।प्रिय की बाँहों में कहीं वसंत-सा कुछ है सहीग्रीष्म की तपिश में बन फूल झड़ रही हूँ में।सावन ने उनकी आँखों में घर शायद कर लियातभी तो यों घनघोर घटाओं-सी उमड़ रही हूँ मैं।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1122218658643730472005-07-24T07:52:00.000-07:002005-07-24T08:24:18.663-07:00डर नहीं है बिछड़ने का भी ऐ सनमडर नहीं है बिछड़ने का भी ऐ सनम,ले भी गया मुझे कोई तो क्या वो पाएगा?क्या था मेरे पास जो तुम्हें न दे दियाहार कर वो खुद ही मुझे लौटा जाएगा।रहे नहीं वो दिन कि हर एक गुलशन मेंफूल दिल का खिलने के क़ाबिल होता हो,छूट गई दुनिया जहाँ मन का उड़ता पंछीतेज दौड़ने से कभी हासिल होता हो।आशियाना मिल गया है, मिल गए दानेनिकला बाहर उनसे तो फिर जी न पाएगा।आब-ए-जन्नत मिल गई है इस दिल कोऔर अब वो सादा पानी पी न पाएगा।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1121924903688457972005-07-20T22:37:00.000-07:002005-07-20T22:48:23.700-07:00हाँ, कहा तो था तुमने साथीहाँ, कहा तो था तुमने साथी।कि मुश्किल होंगी राहें अपनीफेरना मत निग़ाहें अपनी।निग़ाहों को समझा लूँ पर दिल का क्या करूँ,मारती हैं जिसे सज़ाएँ अपनी।हाँ, कहा तो था तुमने साथी।कि मूँदनी पड़ेंगी हमें आँखें अपनीनहीं समझेंगे वो बातें अपनी।पर दुनिया भी खींचती है क्या करूँ उसका,कहाँ भेजूँ परेशान रातें अपनी।हाँ, कहा तो था तुमने साथी।कि बिना आस के ही चलना पड़ेगाबेचैनियों में जीना-मरना पड़ेगा।पर बर्दाश्त नहीं Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1121658151792364442005-07-17T20:33:00.000-07:002005-07-19T01:11:47.056-07:00चाहा है सबने हमेंचाहा है सबने हमें इससे ज़्यादा तो क्या करे कोईक़िस्मत में ना हो प्यार का मज़ा तो क्या करे कोई।यों तो बिठा दिया है आसमाँ पर तुमने हमेंहो खुदा का और ही फ़ैसला तो क्या करे कोई।शिक़ायत क्या करें जान दे दी लोगों ने हमपरलेने को मेरे दम ही न हो बचा तो क्या करे कोई।ज़माने ने तो दे ही दी तलवार हाथ मेंबेबस मेरा हाथ ना उठा तो क्या करे कोई।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1121437527420929292005-07-15T07:13:00.000-07:002005-07-15T07:25:27.430-07:00कल रात क्या ऐसा नहीं लगाकल रात क्या ऐसा नहीं लगा,कुछ कहना था और नहीं कहा?नहीं ऐसा कि डरते थे पर समाँ ही मानो नहीं बँधा।समझ गए हम इतना क्या किकहने को कुछ नहीं बचा?किस्से पूरी दुनिया के हैंदासताँ अपनी गई कहाँ?कुछ पल जो मेरे अपने हैंसब चीज़ें उनको लें न चुरा।कल रात क्या ऐसा नहीं लगा,कुछ कहना था और नहीं कहा?Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-11136645.post-1121060213153032412005-07-10T22:23:00.000-07:002005-07-11T21:24:38.816-07:00अनजान थे हम पर हमें लोग जानते थेअनजान थे हम पर हमें लोग जानते थेनादान थे ना समझे पर लोग जानते थे।चिंगारियो को भले ही पहचान ना पाए हमभढ़केंगी ही वे कभी ये लोग जानते थे।पास आए, दूर हुए, खेल समझा किए इसेपर मिलना ही था हमें सब लोग जानते थे।दुनिया को चौंका देंगे ये सोचा था हमनेपर सबकुछ हमसे पहले ही लोग जानते थे।Flying Birdhttp://www.blogger.com/profile/11554529033012875648noreply@blogger.com1